खून के रिश्ते भी हो गये बेअसर
कहने को तो हमने भले ही आज 21वीं सदी में प्रवेश कर लिया है, लेकिन अपनी परम्पराओं और संस्कारों को लेकर हम दिन पिछडते जा रहे हैं । एक ऐसे देश में जहाँ भाई प्रेम के चलते एक भाई पूरा राज्य , धन , सम्पत्ति करता आया है आज हम किस गर्त की ओर पहुँच गये है, जहाँ धन दौलत के लिए भाइयों ने गोलियाँ बरसाकर एक दूसरे की जान ले ली इसका उदाहरण है पौंटी चड्ढा और उनके ङाई हरदीप चड्ढा, जिन्होने सम्पत्ति और जायदाद के लिए एक दूसरे को बेरहमी से मार डाला। जिस पैसे को लेकर उन्होनें ऐसा किया वहीं पैसा इसी दुनिया में रह गया । आज ज्यादातर लोग केवल पैसे के पीछे पागल है, जैसे तो इस दुनिया सिर्फ और सिर्फ पैसा ही रह गया । माना कि जीवन निर्वाह के लिए सबसे आवश्यक पैसा ही है, लेकिन पैसा क्या खून के रिश्तों से भी बडा हो गया ? आजकल कुछ माता- पिता अपने बच्चों को पैसों के लिए ही बेच देते है, क्या बीतती होगी उन बच्चों के मासूम दिल पर जिन्हें उनके माता-
पिता पैसों के लिए बेच देते है? एक कोमल मन जिसमें न जाने कितनी महत्वाकांक्षाएँ पनप रहीं है, कुछ ही पल में नर्क में धकेल दिया जाता है वजह पैसा ! हमारे पूर्वजों ने हमें इतने अच्छे संस्कार दिये , सदैव परिवार के प्यार और एकता को सर्वोपरि बताया , परिवार में प्रत्येक रिश्ते का महत्व बताया चाहे वह भाई- बहन का हो य़ा कोई और । लेकिन आज हम अपनी आने वाली पीढी को क्या संदेश दे रहे है? पैसे के लिए चाहे किसी की जान लेनी पडे या किसी को बेचना पडे, जो करना पडे वो करो लेकिन पैसा कनाओ, ढेर सारा पैसा। ये प्रश्न हमें करना होगा सारे समाज से और स्वंय से कि हमारे लिए क्या महत्वपूर्ण है? पैसा या परिवार और संस्कार ।
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