प्राण को हमेशा जिंदा रखेंगे ये किरदार
19 की उम्र में सिनेमा की दुनिया में कदम रखा और 93 की उम्र में अलविदा कह गए। उन्होंने शुक्रवार रात लीलावती अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह बीते कई दिनों से बीमार थे। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को मुम्बई में होगा। करीब 350 फिल्मों में एक्टिंग कर अपनी रौबदार आवाज से करोड़ों दिलों पर राज किया।
लाहौर में फोटोग्राफी सीखते-सीखते खुद फिल्म बन गए प्राण का शरीर भले ही दुनिया छोड़ गया हो, लेकिन उनकी फिल्मों के किरदार और दमदार आवाज उन्हें कभी मरने नहीं देगी। प्राण ने साढ़े तीन सौ से ज्यादा फिल्मों में अपने बेजोड़ अभिनय की छाप छोड़ी। इनमें से ज्यादातर के किरदार हमेशा याद रखने लायक हैं। हम उनके कुछ ऐसे ही किरदारों को याद कर रहे हैं...
उपकार में उन्होंने मलंग चाचा का किरदार निभाया। इस फिल्म
में उनके ये डायलॉग काफी मशहूर हुए- 'भारत तू दुनिया की छोड़ पहले अपनी
सोच। राम ने हर युग में जन्म लिया है, लेकिन लक्ष्मण जैसा भाई दोबारा पैदा
नहीं हुआ।' बैसाखियों के सहारे चलने वाले मलंग चाचा का कोई न था, लेकिन वे
पूरे गांव के थे। उन्होंने दुनिया देखी थी, उसके चाल-चलन से वे निराश हो
चुके थे, मगर सही और गलत की विभाजन रेखा उनके जेहन में धूमिल न हो पाई थी।
उनका शरीर भले ही लाचार था, मगर उनकी आत्मा नहीं।
'राशन पे भाषण है, पर भाषण पे राशन नहीं' के सूत्र वाक्य पर चलते हुए
वे बेबाकी से अपनी बात कह डालते थे, फिर कोई उन पर हँसे, चाहे खुन्नस पाल
बैठे। फिल्म के नायक के लिए वे एक पितातुल्य मित्र व मार्गदर्शक थे। प्राण
कहते थे, ‘उपकार’ से पहले सड़क पर मुझे देखकर लोग मुझे बदमाश, लफंगा,
गुंडे-हरामी कहते थे। मनोज कुमार ने मुझे बुरा आदमी से एक अच्छा आदमी, सबका
चहेता बना दिया।
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