Wednesday, 4 September 2013

विदेशी कर्ज ने बढ़ाया मर्ज, छूमंतर हो रहा है पैसा


अर्थव्यवस्था की घटती विकास दर और औद्योगिक सुस्ती के बीच विदेशी कर्ज के मोर्चे पर भी हालात खराब हुए हैं। विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर रिजर्व बैंक की छमाही रिपोर्ट में इसे लेकर चिंता जताई गई है। वहीं, ग्लोबल निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्श ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर का अनुमान छह से घटाकर चार फीसद कर दिया है। साथ ही बैंक का कहना है कि अगले छह माह में भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 72 रुपये का स्तर छू सकती है।
रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) ने रुपये की घटती कीमत को लेकर भारत की रेटिंग घटाने की चेतावनी दी है। रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में तेजी से छूमंतर होने वाली पूंजी का प्रवाह ही ज्यादा हुआ है। सितंबर, 2012 से मार्च, 2013 की छमाही में बाहर से आने वाली ऐसी पूंजी का अनुपात बढ़कर 96.1 फीसद हो गया है। इससे पूर्व की छमाही में यह अनुपात 83.9 फीसद था। इस तरह की पूंजी में पोर्टफोलियो निवेश और कम अवधि वाले विदेशी कर्ज शामिल हैं। इस दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी घटकर सात माह के आयात लायक बचा। विदेशी मुद्रा भंडार यानी फॉरेक्स रिजर्व के अनुपात में छोटी अवधि के बाहरी कर्जो का अनुपात 28.7 से बढ़कर 33.1 फीसद हो गया है।

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