मिड डे मील :जितने मुंह उतनी बात
छपरा। सारण के मशरक ब्लॉक के धरमासती गंडामन गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में मिड-डे मील खाने से 20 बच्चों की मौत के बाद इसके कारणों पर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि चावल को कीड़े से बचाने के लिए उसमें कीटनाशक की टिकिया डाली गई और चावल सही ढंग से नहीं धोया गया। यही खाने से बच्चों की मौत हुई है।
कुछ लोगों ने यह भी बताया कि रोगर कीटनाशक के डब्बे में सरसों का तेल रखा गया था जिसके कारण सब्जी जहरीली हो गई थी।
वहीं प्रधानाध्यापिका का कहना है कि जिन बच्चों ने सब्जी खाई है, उन्हीं की हालत बिगड़ी है। सब्जी में ही कोई विषैला पदार्थ हो सकता है।
उधर, चिकित्सकों के अनुसार सोयाबीन में फंगस लगने या तेल में कीटनाशक की मात्र होने से बच्चों की मौत हुई है।
वैसे बच्चों की मौत को लेकर तरह-तरह के कारण बताए जा रहे हैं, लेकिन शवों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट या चावल और सब्जी के सैंपल की जांच के बाद ही वास्तविकता का पता चल पाएगी। लेकिन इतना तय है कि भोजन में विषैला पदार्थ मिला हुआ था जिसकी वजह से इतने बच्चों की मौत हुई और कई बच्चे जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं।
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