Saturday 16 November 2013

सचिन की जुबानी...

मित्रों कृपया ठहर जाएं, मैं बहुत ही भावुक हो रहा हूं. यह बेहद कठिन है विश्वास करना की 22 यार्ड्स से लेकर मेरे जीवन की 24 साल की शानदार यात्रा अब समाप्त हो गई. मेरे पास कुछ लोगों के नाम हैं जिनको मैं शुक्रिया कहना चाहता हूं. सबसे पहले मैं अपने पिता को धन्यवाद कहना चाहता हूं, वे 1999 में स्वर्गवासी हो गये. उनके मार्गदर्शन के बगैर मैं कुछ भी नहीं होता. आपके सामने खड़ा नहीं हो पाता. वे अक्सर कहा करते थे कि अपने सपनों का पीछा करो, उसे छोड़ो मत, हां, रास्ता कठिन होगा. उन्होंने कहा था कि जीवन में कोई शॉर्टकट नहीं होता है. आज मैं उनको बहुत मिस कर रहा हूं.

मेरी मां पता नहीं मुझ जैसे नटखट को कैसे संभाल लेती थी. जब मैं खेलता हूं तो वह प्रार्थना करती है. जब मैं चार साल का था तो मैं अपने अंकल और ऑन्टी के घर रहता था. क्योंकि मेरा स्कूल मेरे घर से दूर था. वे हमेशा मुझे अपने बच्चों की तरह अपना प्यार दिये. मेरे सबसे बड़े भाई नितिन को बहुत बातें करना पसंद नहीं है लेकिन वह मुझसे कहते थे,'मुझे पता है तुम जो कुछ भी करोगे. शत प्रतिशत अपना दोगे.' मुझे सबसे पहला बैट मेरी बहन सविता ने मुझे उपहार में दिया था. मैं जब भी बैटिंग करता था वह आज भी व्रत रखती है.

अजीत मेरा भाई, हम दोनों से साथ में सपने देखे हैं. वह अपना करियर मेरे लिए बलिदान कर दिया. वह अचरेकर सर के पास सबसे पहले ले गये. यहां तक कि पिछली रात को भी मुझे कॉल किये और मेरे से विदाई पर बातें की. जब मैं नहीं खेल रहा होता हूं तो वह मेरे से तकनीक पर चर्चा करते हैं. यदि वह नहीं होते तो मैं आज इतना सफल नहीं हो पाता.

सबसे खूबसूरत पल अंजली से मुलाकात की है. वह मुझसे 1990 में मिली. अंजली डॉक्टर हैं, उन्होंने परिवार के लिये अपना करियर छोड़ दिया. उन्होंने कहा कि आप क्रिकेट खेलो मैं परिवार की जिम्मेदारी संभालूंगा. बिना उनके योगदान के क्रिकेट नहीं खेल पाता. हमेशा मेरे साथ खड़ी रहीं. अंजली को धन्यवाद उसने मेरे कई नॉनसेंस बातों को झेल गयीं.

मेरे जीवन में दो अनमोल हीरे सारा और अर्जुन हैं. मैं इनके कई जन्मदिन, छुट्टियां, वार्षिक दिवस मिस कर दिया हूं. वे बड़े हो चुके हैं. मैं उनके साथ समय बीताना चाहता हूं. आप दोनों मेरे लिए बेहद खास हो. मैं आपसे वायदा करता हूं कि बीते सालों में आपके साथ समय नहीं बिता पाया लेकिन अब आपको समय दूंगा.

मेरे सास-ससुर, मैंने ढ़ेर सारी बातें उनसे चर्चा किये हैं. सबसे महत्वपूर्ण ये है कि उन्होंने मुझे अंजली से शादी करने की अनुमति दी. पिछले 24 सालों मेरे मित्रों ने बहुत ही सहयोग दिया है. वे मेरे साथ रहे जब भी मुझे जरूरत महसूस हुई. जब मैं तनाव में होता था. जब मैं घायल होता तो वे सुबह तीन बजे तक होते थे. खेल के मैदान से छुट्टियों में क्रिकेट पर चर्चा तक हमेशा साथ रहे. ऐसे दोस्तों के बिना जीवन अधूरा है. आप सभी मित्रों को बहुत बहुत धन्यवाद.

मेरे करियर की शुरुआत उस वक्त हुई थी जब मैं महज 11 साल का था. मैं अचरेकर सर को सामने खड़ा देखकर बहुत खुश हुआ था.  मैं अक्सर उनका स्कूटर लेकर चला जाता था और दिन में दो मैच खेलकर आता था. सर कभी नहीं कहते थे वेल प्लेड. क्योंकि वह कभी नहीं चाहते थे कि मैं सन्तुष्ट हो जाउं.   

इसी ग्राउंड से मेरे करियर का सफर शुरू हुआ था. सीआई ने मुझे 16 की उम्र में सलेक्ट किया. सेलेक्टर को धन्यवाद कि मुझ पर भरोसा जताया. चोट के दौरान मेरे ट्रीटमेंट का भी ध्यान रखा. सीनियर क्रिकेटर्स को देख देखकर सीखा. उन्हें धन्यवाद. बाकी साथी - राहुल, लक्ष्मण, सौरव, अनिल. इसके अलावा मेरे टीम मेट्स जो मेरे साथ खड़े हैं. गाइडेंस के लिए सभी कोच को धन्यवाद. 

मैं अपनी टीम को यह मैसेज देना चाहता हूं कि इंडियन क्रिकेट टीम का हिस्सा होकर देश की सेवा करना हमारे लिए सौभाग्य है. आशा है कि आप देश की सेवा करते रहेंगे. आप पर पूरा भरोसा है कि आप अपनी क्षमता के हिसाब से देश की सेवा करते रहेंगे.

अपने सभी डॉक्टरों, फिजियो को धन्यवाद देते हुए सचिन ने कहा मैं अपनी ड्यूटी कर ही नहीं पाता इनकी वजह से इंजरी से निपट पाया. इनके विशेष योगदान के बिना संभव नहीं था. वे अलग अलग शहरों से आते थे, सिर्फ इसलिए कि मेरा इलाज करें और मेरा ध्यान रखें.

मेरे प्रिय मित्र स्वर्गीय मार्क. मैं उन्हें बहुत मिस कर रहा हूं. पहले मैनेजर मार्क का 2001 में उनका निधन हो गया. लेकिन वे क्रिकेट की भलाई चाहते थे. कोई जो पिछले 14 सालों से मेरे साथ काम कर रहा है वो हैं विनय नायडू.

सभी मीडिया और फोटोग्राफर्स को धन्यवाद. स्कूल के दिनों से ही मीडिया ने मेरी काफी मदद की. मैं जानता हूं कि स्पीच लंबा हो रहा है. 

आखिर में अपने फैन्स को धन्यवाद, जो दुनिया के कोने कोने से मुझे सपोर्ट करने आते रहे. आपकी यादें मेरे लिए खास रहेंगी. सचिन, सचिन मेरे कानों में गूंजता रहेगा. 
source ABP

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