Wednesday 18 June 2014

फिल्म समाज का ख्बाव होती है - श्याम माथुर

जयपुर, 18 जून । राजस्थान विश्वविद्यालय के जन संचार केन्द्र और यूजीसी एकेडेमिक स्टाफ कॉलेज के संयुक्त तत्त्वावधान में चल रहे है पांचवें रिफ्रेशर कोर्स के तीसरे दिन बुधवार को फिल्म प़त्रकार श्याम माथुर ने कहा कि फिल्म समाज का ख्बाव होती है,साथ ही फिल्म पत्रकारिता के बहुआयामी पक्षों पर चर्चा की । माथुर ने फिल्म पत्रकारिता के बदलते स्वरूप पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज फिल्म जर्नलिज्म पीआर जर्नलिज्म हो गया है। इस रिफ्रेशर कोर्स में भारत की पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र व आलम आरा दिखाई गई।
21 दिन तक चलने वाले इस रिफ्रेशर कोर्स के दुसरे सेशन में राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रो. एन डी माथुर ने क्रिएटविटी पर चर्चा करते हुए फोटो एवं फिल्म के माध्यम से रचनात्मकता के विभिन्न आयामों को बताया। तीसरे सेशन में राजस्थान विश्वविद्यालय के गांधी अध्ययन केन्द्र की निदेशक प्रो विद्या जैन ने मीडिया, महिला एवं वैश्वीकरण पर चर्चा की। प्रो जैन ने वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक पहलूओं को बताया। इस कोर्स के दौरान विभिन्न क्षेत्रों के अनुभवी शिक्षक कोर्स के सहभागी शिक्षकों के साथ संवाद किया।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान विश्वविद्यालय में 2008 से 2013 के मध्य पत्रकारिता एवं जन संचार विषयक चार रिफ्रेशर कोर्स आयोजित किए जा चुके हैं। इन पाठ्यक्रमों में 10 से अधिक राज्यों के लगभग 130 शिक्षक लाभान्वित हुए हैं। इन पाठ्यक्रमों के दौरान रिफ्रेश टाइम्स नाम से न्यूज लेटर प्रकाशित किए गए तथा 21 दिवसीय पाठ्यक्रमों पर आधारित लघु डाॅक्यूमेन्ट्रीज भी सहभागी शिक्षकों ने बनाई।
 मनीष शुक्ला

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