48 दिन की
केजरीवाल की सरकार...
समाजसेवी अन्ना हजारे के
जनलोकपाल बिल के आंदोलन से सुर्खियों में आए अरविंद केजरीवाल का जीवन बेहद
उतार-चढ़ाव भरा रहा है। आईआईटी खडगपुर से मैकेनिकल इंजीनियर केजरीवाल अपने कैरियर
के शुरुआती दिनों से ही सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे।
हरियाणा के हिसार में 16 अगस्त 1968 को जन्मे केजरीवाल भारतीय राजस्व सेवा में भी रहे, लेकिन सामाजिक कार्यों में शामिल होने के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी।
'सूचना के अधिकार' पर काम कर रहे केजरीवाल ने दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के साथ मिलकर जनलोकपाल बिल के लिए आंदोलन छेड़ा। इस आंदोलन ने केजरीवाल को नई पहचान दी।
आंदोलन के दौरान मंच पर अन्ना और मंच के बाहर केजरीवाल ने मिलकर मोर्चा संभाला। जनलोकपाल बिल को लेकर सरकार और केजरीवाल के बीच कई बार तनातनी हुई, जिसका परिणाम यह हुआ कि केजरीवाल न्यूज चैनलों और अखबारों की सुखिर्यां बनते चले गए।
हरियाणा के हिसार में 16 अगस्त 1968 को जन्मे केजरीवाल भारतीय राजस्व सेवा में भी रहे, लेकिन सामाजिक कार्यों में शामिल होने के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी।
'सूचना के अधिकार' पर काम कर रहे केजरीवाल ने दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के साथ मिलकर जनलोकपाल बिल के लिए आंदोलन छेड़ा। इस आंदोलन ने केजरीवाल को नई पहचान दी।
आंदोलन के दौरान मंच पर अन्ना और मंच के बाहर केजरीवाल ने मिलकर मोर्चा संभाला। जनलोकपाल बिल को लेकर सरकार और केजरीवाल के बीच कई बार तनातनी हुई, जिसका परिणाम यह हुआ कि केजरीवाल न्यूज चैनलों और अखबारों की सुखिर्यां बनते चले गए।
शीला को सियासी पटखनी, दिल्ली पर कब्जा
जनलोकपाल के मुद्दे पर ही केजरीवाल ने भी दिल्ली के
जंतर-मंतर पर अनशन किया। हालांकि इस बार यह आंदोलन बिना किसी परिणाम के ही खत्म हो
गया, लेकिन यहां से केजरीवाल का रुझान सक्रिय राजनीति की ओर हो गया।
अन्ना आंदोलन के उनके कई साथी और खुद अन्ना हजारे भी केजरीवाल के राजनीति में जाने के फैसले के खिलाफ थे, लेकिन केजरीवाल ने विरोध के बावजूद नवंबर 2012 में 'आम आदमी पार्टी' बनाकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कर दी।
दिल्ली को अपने सियासी संग्राम का पहला पड़ाव बनाते हुए केजरीवाल ने सीधे मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को चुनौती दी। केजरीवाल ने शीला दीक्षित के खिलाफ नई दिल्ली से विधानसभा चुनाव जीतकर देशभर में वाह-वाही लूटी।
तमाम पॉलिटिकल पंडितों के सर्वे को पीछे छोड़ते हुए आम आदमी पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनाव में कुल 28 सीटें मिलीं। केजरीवाल के लिए राजनीतिक रूप से यह बहुत बड़ी जीत थी।
अन्ना आंदोलन के उनके कई साथी और खुद अन्ना हजारे भी केजरीवाल के राजनीति में जाने के फैसले के खिलाफ थे, लेकिन केजरीवाल ने विरोध के बावजूद नवंबर 2012 में 'आम आदमी पार्टी' बनाकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कर दी।
दिल्ली को अपने सियासी संग्राम का पहला पड़ाव बनाते हुए केजरीवाल ने सीधे मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को चुनौती दी। केजरीवाल ने शीला दीक्षित के खिलाफ नई दिल्ली से विधानसभा चुनाव जीतकर देशभर में वाह-वाही लूटी।
तमाम पॉलिटिकल पंडितों के सर्वे को पीछे छोड़ते हुए आम आदमी पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनाव में कुल 28 सीटें मिलीं। केजरीवाल के लिए राजनीतिक रूप से यह बहुत बड़ी जीत थी।
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